छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित एक शीर्ष संगठन है जिसमें त्रि-स्तरीय सहकारी संरचना शामिल है जिसमें यह राज्य स्तर की शीर्ष निकाय है, इसके साथ 31 जिला यूनियन और 901 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियॉं शामिल है। वर्तमान में राज्य के सम्पूर्ण क्षेत्र मे लगभग 10,300 संग्रहण केंद्र (जिन्हें फड़ कहा जाता है) और लगभग 13.76 लाख वनोपज संग्रहण करने वाले परिवार हैं। राज्य लघुवनोपज संघ राज्य में प्रबंधन, विकास और व्यापार से संबंधित सभी पहलुओं के लिए जिम्मेदार है।
संघ की शीर्ष निकाय
संघ का शीर्ष निकाय रायपुर में स्थित है। इसमें निदेशक मंडल का निर्माण किया गया है जिसके अंतर्गत अध्यक्ष, निर्वाचित निदेशक गण और राज्य सरकार के अधिकारियों का चयन किया गया है। सर्वोच्च निकाय विभिन्न गतिविधियां जैसे संग्रहण, भंडारण और लघु वनोपज के व्यापार और जिला स्तर सहकारी संघों के माध्यम से संग्रहणकर्ताओं को भुगतान जैसे कार्यों का संपादन करता है। यह राष्ट्रीय स्तर के प्रतिभागियों को आमंत्रित करके ई-निविदाओं और ई-नीलाम के द्वारा निर्दिष्ट गैर इमारती लकड़ी के वन उपज का निर्वतन करता है। यह राज्य सरकार को भी संरक्षण, संग्रहण, मूल्य संवर्धन और लघु वनोपज के विपणन आदि पर नीति तैयार करने हेतु सलाह देता है।
वनोपज सहकारी जिला संघ
जिला वनोपज सहकारी संघ वन मंडल स्तर की इकाइयां है, जो उत्पादन तथा संग्रहण, परिवहन और लघु वनोपज के भंडारण के लिए जिम्मेदार है। वनमंडलाधिकारी जो जिला वनोपज संघ के पदेन प्रबंध संचालक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी होते है। ये वन विभाग और अन्य सरकारी विभागों की सहायता से प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से संग्रहणकर्ताओं को वनोपज के संग्रहण, भंडारण और संग्रहण मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करता है। प्रबंध संचालक को उप प्रबंध संचालक और अन्य कर्मचारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। जिला यूनियन संचालक मंडल बोर्ड द्वारा निर्वाचित अध्यक्ष की अध्यक्षता में शासित होता है। संचालक मंडल में वन विभाग के विभिन्न क्षेत्रों के चुने हुए सदस्य शामिल होते हैं और नामांकित सदस्य जैसे जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, वन मंडलाधिकारी और प्रबंध संचालक और सहकारी समितियों के उप रजिस्ट्रार शामिल होते हैं। यह शासकीय निकाय कार्य क्षेत्र की रणनीति तैयार करती है और जिला संघों को सौपें गए कार्यों की प्रगति की समीक्षा करती है।
प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियां
प्राथमिक सहकारी समितियों को लघु वनोपज (एमएफपी) के वास्तविक संग्रहणकर्ताओं की सदस्यता के साथ गठित किया गया है और संग्रहण केंद्र ग्राम पर लघु वनोपज (एमएफपी) के संग्रहण के लिए जिम्मेदार हैं। प्रत्येक प्राथमिक समिति में 10 से 20 तेन्दू पत्ता संग्रहण केंद्र है जहां तेन्दू पत्ते खरीदे जाते हैं और संग्रहणकर्ताओं को खरीद मूल्य का भुगतान किया जाता है। जिला संघ में प्रत्येक प्राथमिक सहकारी समिति के अलग क्षेत्राधिकार हें और संचालक मंडल में चयनित एवं नामांकित सदस्य हैं। प्रत्येक प्राथमिक सहकारी समिति के कार्यालय और क्षेतरीय कार्य की सहायता के लिए एक अंशकालिक प्रबंधक है। संग्रहण केंद्रों को फड मुंशी द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जिसे समितियों द्वारा इसी उद्देश्य के लिए नियुक्त किया गया है। इन संग्रहण केंद्रों को वन विभाग के अधिकारियों द्वारा पर्यवेक्षण और निर्देशित किया जाता है।