छत्तीसगढ़ राज्य में हाथकरघा उद्योग एक मुख्य कुटीर उद्योग के रूप में स्थापित है। हाथकरघा उद्योग में रोजगार की विपुल संभावनाओं और हाथकरघा बुनाई की समृद्ध परम्परा, हाथकरघा बुनकरों और हाथकरघा उद्योग को और अधिक बढ़ावा देने के लिये शासन द्वारा विभिन्न योजनाएं एवं कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है।
छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 18000 करघे कार्यशील है जिन पर लगभग 54000 व्यक्ति प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार में संलग्न है। जांजगीर-चांपा एवं रायगढ़ जिले के कोसा वस्त्र उत्पाद अपना विशेष राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय महत्व रखते है। रायपुर, बलौदाबाजार, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, राजनांदगांव, धमतरी, बस्तर एवं सरगुजा जिले में काॅटन वस्त्रों की एक समृद्ध परम्परा है।
राज्य में हाथकरघा उद्योग में अधिक से अधिक से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने तथा बुनकरों को विपणन की सुविधा मुहया कराने की दृष्टि से राज्य में एक शीर्ष सहकारी संघ छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ मर्या. रायपुर का पंजीयन 20.12.2000 को किया गया है। वर्तमान में राज्य की 284 बुनकर सहकारी समितियां हाथकरघा संघ से सदस्य है।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के बुनकरों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने हेतु शासकीय वस्त्र प्रदाय योजना लागू की गई है, जिसके तहत् राज्य के समस्त शासकीय विभागो/सार्वजनिक उपक्रमों में लगने वाले वस्त्र एवं रेडिमेड गारमेंट की पूर्ति छत्तीसगढ़ के बुनकरों के द्वारा उत्पादित हाथकरघा/खादी वस्त्रों से ही किये जाने का निर्णय लिया गया है।
विभागों को वस्त्र प्रदाय हेतु छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ को नोडल एजेंसी अधिकृत किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ मर्या. रायपुर से शासकीय वस्त्र क्रय के लिये भण्डार क्रय नियम 2002 के नियम 08 में आवश्यक प्रावधान किये गये है। राज्य हाथकरघा संघ द्वारा शासकीय विभाग को लगने वाले लगभग 59 प्रकार के वस्त्रों का उत्पादन किया जा रहा है।